अयोध्या का विस्तृत इतिहास ✨

श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या

अयोध्या का विस्तृत इतिहास ✨

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र अयोध्या की आधिकारिक वेबसाइट विजिट करने के लिए यहां क्लिक करें।

अयोध्या का पौराणिक महत्व

अयोध्या, जिसे "अयोध्या नगरी" या "राम नगरी" के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म की सबसे पवित्र नगरियों में से एक है। यह सरयू नदी के तट पर बसी हुई है और प्राचीन काल में कोसल राज्य की राजधानी थी। अयोध्या नाम का अर्थ है - "जिसे युद्ध में जीता न जा सके" या "अजेय"। स्कंदपुराण में अयोध्या का जिक्र मिलता है, जिसके अनुसार अयोध्या का अर्थ है "जहाँ पर युद्ध न हो"।

"अयोध्या मथुरा माया काशी काञ्ची अवन्तिका। पुरी द्वारावती चैव सप्तैता मोक्षदायिकाः॥"
- गरुड़ पुराण

अयोध्या का उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है, जहाँ इसे 'देवताओं का नगर' कहा गया है। रामायण के अनुसार, अयोध्या की स्थापना मनु ने की थी, जो प्रथम मानव थे।

"अयोध्येयं मनोहारिणी रम्या सरयूजलैः।
रामजन्मभूमिरियं पुण्या धन्या सनातनी॥"
अर्थ: "यह अयोध्या मनोहारिणी और सरयू के जल से सुशोभित है। यह राम की जन्मभूमि है, पवित्र है, धन्य है और सनातनी है।"

ऐतिहासिक कालक्रम: अयोध्या की गौरवगाथा

प्राचीन काल (लगभग 6673 ईसा पूर्व)

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, अयोध्या की स्थापना वैवस्वत मनु ने की थी, जो सूर्य के पुत्र थे। मनु के 10 पुत्रों में से इक्ष्वाकु ने अयोध्या पर शासन करना आरंभ किया और यहीं से इक्ष्वाकु वंश की स्थापना हुई, जिसमें बाद में भगवान राम का जन्म हुआ।

5वीं शताब्दी ईसा पूर्व

बौद्ध ग्रंथों में अयोध्या का उल्लेख साकेत के नाम से मिलता है। गौतम बुद्ध ने अयोध्या की यात्रा की थी और यहाँ कुछ समय तक निवास किया था।

छठी शताब्दी ईसा पूर्व

जैन ग्रंथों के अनुसार, अयोध्या 24 तीर्थंकरों में से 5 तीर्थंकरों की जन्मस्थली है: ऋषभदेव, अजितनाथ, अभिनंदननाथ, सुमतिनाथ और अनंतनाथ

गुप्त काल (320-550 ईस्वी)

गुप्त सम्राटों ने अयोध्या में कई मंदिरों और धार्मिक स्थलों का निर्माण करवाया। चीनी यात्री फाह्यान ने 5वीं शताब्दी में अयोध्या की यात्रा की और इसे एक महत्वपूर्ण बौद्ध केंद्र के रूप में वर्णित किया।

11वीं-12वीं शताब्दी

गहड़वाल वंश के शासनकाल में अयोध्या फिर से हिंदू धर्म का प्रमुख केंद्र बना। इस काल में कई मंदिरों का निर्माण हुआ।

1528-29

मुगल बादशाह बाबर के सेनापति मीर बाक़ी ने राम जन्मभूमि स्थल पर एक मस्जिद का निर्माण करवाया, जिसे बाबरी मस्जिद कहा गया।

1853

पहली बार हिंदुओं और मुसलमानों के बीच राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के बारे में दर्ज की गई हिंसा हुई।

1949

मस्जिद के अंदर रामलला की मूर्तियाँ प्रकट हुईं, जिसके बाद विवादित structure को locked कर दिया गया।

1986

फैजाबाद जिला न्यायालय ने हिंदू भक्तों के लिए विवादित स्थल के दरवाजे खोलने का आदेश दिया।

1992

6 दिसंबर को विवादित ढाँचा ढहा दिया गया, जिसके बाद देशभर में सांप्रदायिक दंगे हुए।

2010

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने विवादित भूमि को तीन हिस्सों में बाँटने का फैसला सुनाया: एक भाग रामलला को, एक भाग निर्मोही अखाड़ा को और एक भाग सुन्नी वक्फ बोर्ड को।

2019

सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या भूमि विवाद पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया और पूरी 2.77 एकड़ भूमि रामलला को दिए जाने का आदेश दिया। साथ ही मस्जिद निर्माण के लिए अलग से 5 एकड़ भूमि आवंटित करने का निर्देश दिया।

5 अगस्त 2020

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर के भूमिपूजन का शुभारंभ किया और मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी।

22 जनवरी 2024

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्री रामलला की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की और राम मंदिर को राष्ट्र को समर्पित किया।

"रामो विग्रहवान् धर्मः साधुः सत्यपराक्रमः।
राजा सर्वस्य लोकस्य देवानामिव वासवः॥"
अर्थ: "राम ही धर्म के मूर्त रूप हैं, साधु हैं, सत्यपराक्रमी हैं। वे समस्त लोक के राजा हैं, जैसे देवताओं में इंद्र हैं।"

अयोध्या के प्रमुख तीर्थ स्थल

राम जन्मभूमि मंदिर

यह अयोध्या का सबसे पवित्र स्थल है, जहाँ भगवान राम का जन्म हुआ था। नवनिर्मित भव्य मंदिर नागर शैली में बनाया गया है।

हनुमान गढ़ी

यह हनुमान जी का प्रसिद्ध मंदिर है जो अयोध्या के मध्य में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी यहाँ से अयोध्या की रक्षा करते हैं।

कनक भवन

यह भव्य महल माता सीता को उनकी विदाई के समय उपहार में मिला था। इसमें श्री राम और सीता जी की सुंदर मूर्तियाँ हैं।

सरयू नदी

अयोध्या से बहने वाली पवित्र सरयू नदी में स्नान का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने इसी नदी में जलसमाधि ली थी।

"सरयू सुभगा सरला सुखदा शिवा सर्वदा।
यस्यां स्नात्वा नरो मुक्तिं प्राप्नोति नात्र संशयः॥"
अर्थ: "सरयू नदी सुंदर, सीधी, सुखदायिनी और कल्याणकारी है। इसमें स्नान करके मनुष्य मोक्ष प्राप्त करता है, इसमें कोई संदेह नहीं है।"
"जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी"
- माता और मातृभूमि स्वर्ग से भी महान हैं

सांस्कृतिक महत्व: बहुलवादी धार्मिक परंपरा

अयोध्या हिंदू धर्म के साथ-साथ बौद्ध और जैन धर्म के अनुयायियों के लिए भी महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। यह नगरी सनातन संस्कृति, सहिष्णुता और धार्मिक सद्भाव का प्रतीक है।

रामायण, रामचरितमानस और अन्य अनेक ग्रंथों में अयोध्या के वैभव और महत्व का वर्णन मिलता है। अयोध्या न केवल एक धार्मिक नगरी है, बल्कि भारतीय सभ्यता और संस्कृति की जीवंत धरोहर भी है।

"यत्र यत्र रघुनाथकीर्तनं तत्र तत्र कृतमस्तकांजलिम्।
बाष्पवारिपरिपूर्णलोचनं मारुतिं नमत राक्षसान्तकम्॥"
अर्थ: "जहाँ-जहाँ रघुनाथ (श्रीराम) की कीर्ति का गान होता है, वहाँ-वहाँ हाथ जोड़कर, आँखें आँसुओं से भरकर, राक्षसों का अंत करने वाले हनुमानजी को प्रणाम करते हैं।"
Footer